मन क्या क्या कहता रहता है
मन क्या क्या कहता रहता है
फूलों की खुशबू से आकर्षित होकर
मधुप दल फूलों पर मंडराने लगे हैं
मन कहता है गर मैं पंछी होता तो
उड़ता गगन में मस्ती से मधुप दल की तरह।
खिलखिलाकर हंसता था बचपन में मैं
बेसुरे आवाजों में गाता गुनगुनाता था
मन कहता है गर मैं सक्षम होता तो
फिर से बचपन में जाने को जी करता है।
याद आती है मां की ममता हर पल
पिता जी का वो दुलार बचपन का
मन कहता है गर मुझें वरदान मिल जाता तो
फिर से बचपन को ही मांग लेता।
राधा जी ने उंगली पकड़कर श्याम को नाच नचायें
श्री कृष्ण जी ने बरसाने में सबकों प्रीत सिखाएं
मन कहता है गर मैं श्री कृष्ण जी जैसा होता तो
बंशी की धुन में सबको प्रेम से रहना सीखा देता।
सबेरा आया, नई रोशनी के साथ
हर दर्द और गम को छोड़ करें दिल की बात
मन कहता है गर मैं पंछी होता तो
आकाश में जाकर कहता,भारत माता की जय।
प्यार क्या है पता नही है किसी को
क्योंकि प्यार की कोई परिभाषा नही होती है
मन कहता है गर मैं श्री राम जी जैसा होता तो
किसी भी परिवार को बिखरने नही देता।
नूतन लाल साहू
Gunjan Kamal
01-Mar-2024 11:43 PM
शानदार
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Mohammed urooj khan
29-Feb-2024 03:41 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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